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कुंडलिनी जागरण क्या है? – योग और ऊर्जा का रहस्य

कुंडलिनी जागरण क्या है? – योग और ऊर्जा का रहस्य

आंतरिक शक्ति का जागरण, सात चक्रों की रहस्यमय यात्रा और साधना के गूढ़ रहस्य।

परिचय: कुंडलिनी क्या है?

कुंडलिनी शब्द संस्कृत के “कुंडल” से बना है, जिसका अर्थ है – कुण्डली मारे हुए। यह हमारे शरीर में स्थित एक सूक्ष्म, सुप्त ऊर्जा है, जो रीढ़ की हड्डी के मूल (मूलाधार चक्र) में कुंडली मारे बैठी होती है।

मान्यता है:
जब यह ऊर्जा जागृत होती है, तो व्यक्ति को आध्यात्मिक चेतना, ऊर्जा, और आत्मिक ज्ञान की उच्च अवस्थाएँ प्राप्त होती हैं।

सात चक्र – कुंडलिनी की सीढ़ियाँ

कुंडलिनी जागरण के मार्ग में शरीर में मौजूद 7 प्रमुख चक्रों की भूमिका होती है:

मूलाधार चक्र (Root Chakra) – स्थिरता और अस्तित्व
स्वाधिष्ठान चक्र (Sacral Chakra) – रचनात्मकता और भावना
मणिपुर चक्र (Solar Plexus Chakra) – आत्मबल और इच्छाशक्ति
अनाहत चक्र (Heart Chakra) – प्रेम और करुणा
विशुद्धि चक्र (Throat Chakra) – अभिव्यक्ति और सत्य
आज्ञा चक्र (Third Eye Chakra) – अंतर्ज्ञान और बौद्धिक दृष्टि
सहस्रार चक्र (Crown Chakra) – परम चेतना, ब्रह्म से एकत्व

जैसे-जैसे कुंडलिनी ऊपर की ओर उठती है, साधक हर चक्र पर एक नए आध्यात्मिक अनुभव से गुजरता है।

कुंडलिनी जागरण की साधना विधियाँ

1. कुंडलिनी योग

  • विशेष आसन, प्राणायाम, मंत्र और ध्यान का संयोजन
  • योग गुरुओं के मार्गदर्शन में किया जाना आवश्यक है

2. मंत्र साधना

  • बीज मंत्रों (जैसे ‘ॐ’, ‘ह्रीं’, ‘क्लीं’) के जप से ऊर्जा सक्रिय होती है

3. सप्त चक्र ध्यान

  • हर चक्र पर ध्यान केंद्रित करके चेतना का विस्तार किया जाता है

4. गुरु कृपा

  • कुंडलिनी का सहज जागरण गुरु की दृष्टि (शक्तिपात) से भी संभव है

सावधानियाँ

कुंडलिनी साधना एक गंभीर और शक्तिशाली प्रक्रिया है।
गलत तरीके से करने पर मानसिक असंतुलन, ऊर्जा विकृति और भ्रम हो सकते हैं।

हमेशा अनुभवी गुरु के मार्गदर्शन में ही करें।

कुंडलिनी जागरण के लाभ

मानसिक शांति और स्थिरता
आत्मा से जुड़ाव और जागरूकता
ऊर्जा और स्वास्थ्य में वृद्धि
अंतर्ज्ञान और रचनात्मकता का विकास
जीवन का उद्देश्य स्पष्ट होना

जागृति की राह स्वयं के भीतर है

कुंडलिनी जागरण आत्म-ज्ञान और ब्रह्म ज्ञान की ओर पहला कदम है। यह कोई रहस्यमयी जादू नहीं, बल्कि अनुशासन, साधना और श्रद्धा का मार्ग है।

जब भीतर की ऊर्जा जागती है, तब बाहरी दुनिया की परिभाषाएँ बदलने लगती हैं।

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