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दुनिया के सबसे खुशहाल देश भारत कहां है इस लिस्ट में?

दुनिया के सबसे खुशहाल देश – भारत कहां है इस लिस्ट में?

हर इंसान खुश रहना चाहता है – लेकिन क्या देश भी खुश रह सकते हैं? इस सवाल का जवाब देती है संयुक्त राष्ट्र (United Nations) की हर साल जारी होने वाली “World Happiness Report”। यह रिपोर्ट बताती है कि दुनिया के कौन से देश सबसे खुशहाल हैं, और कौन से देश पीछे छूट रहे हैं।

तो चलिए जानते हैं इस रिपोर्ट में कौन है नंबर 1 पर, और भारत किस पायदान पर है।

2024 की वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट – टॉप 10 खुशहाल देश

  1. फिनलैंड (Finland)
  2. डेनमार्क (Denmark)
  3. आइसलैंड (Iceland)
  4. स्वीडन (Sweden)
  5. नॉर्वे (Norway)
  6. नीदरलैंड्स (Netherlands)
  7. लक्समबर्ग (Luxembourg)
  8. स्विट्ज़रलैंड (Switzerland)
  9. ऑस्ट्रेलिया (Australia)
  10. न्यूज़ीलैंड (New Zealand)

ये देश लगातार टॉप पर बने हुए हैं क्योंकि इनकी सरकारें नागरिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और सामाजिक सहयोग के बेहतरीन साधन देती हैं।

🇮🇳 भारत की स्थिति क्या है?

  • भारत इस रिपोर्ट में 126वें स्थान पर रहा है (2024 के डेटा अनुसार)।
  • भारत अपने पड़ोसी देशों नेपाल (93), बांग्लादेश (118) और चीन (60) से भी पीछे है।
  • हालांकि भारत में आर्थिक विकास तेज़ हुआ है, लेकिन सामाजिक सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य, और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे खुशहाली में बाधा बनते हैं।

ये 6 फैक्टर तय करते हैं “हैप्पीनेस स्कोर”

  1. GDP प्रति व्यक्ति
  2. सोशल सपोर्ट (संकट में मदद मिलने की संभावना)
  3. स्वस्थ जीवन प्रत्याशा (लाइफ एक्सपेक्टेंसी)
  4. आज़ादी – जीवन के फैसले खुद लेने की स्वतंत्रता
  5. भ्रष्टाचार की धारणा
  6. दया और उदारता (दान, मदद, वॉलंटियरिंग)

भारत क्यों पीछे है?

  • मेंटल हेल्थ पर कम ध्यान
  • शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में असमानता
  • महंगाई और बेरोज़गारी की चिंता
  • पर्यावरण प्रदूषण और जीवन की गुणवत्ता में गिरावट

हालांकि भारत में परिवार, धर्म, और संस्कृति लोगों को भावनात्मक तौर पर मज़बूत रखते हैं, लेकिन सरकारी स्तर पर जीवन की बुनियादी गुणवत्ता में सुधार की ज़रूरत है।

क्या भारत खुशहाल देश बन सकता है?

ज़रूर! इसके लिए जरूरी है:

  • मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना
  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना
  • पारदर्शिता और भ्रष्टाचार-मुक्त शासन
  • कामकाज और जीवन के बीच संतुलन को बढ़ावा देना

खुशहाली सिर्फ आर्थिक तरक्की से नहीं आती, बल्कि यह एक संपूर्ण अनुभव है – शांति, सुरक्षा, रिश्ते, और जीवन की गुणवत्ता का। भारत जैसे युवा देश को अगर वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में ऊपर आना है, तो नीतियों को सिर्फ विकास पर नहीं, जीवन के अनुभव पर केंद्रित करना होगा।

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