ध्यान क्या है? – मन की शांति पाने की प्राचीन भारतीय विधि
ध्यान का अर्थ क्या है?
‘ध्यान’ संस्कृत शब्द “धै” से बना है, जिसका अर्थ होता है – मन को एक बिंदु पर स्थिर करना।
यह केवल आंखें बंद करके बैठने की क्रिया नहीं, बल्कि भीतर की यात्रा है – जहां विचार कम और अनुभव अधिक होते हैं।
भारतीय दर्शन में ध्यान आत्मा और परमात्मा के मिलन का मार्ग है। योग में इसे अष्टांग योग की सातवीं सीढ़ी माना गया है – “ध्यान” के बाद आता है “समाधि”।
ध्यान के प्रकार – सक्षम और निर्गुण ध्यान
1. सक्षम ध्यान (With Form Meditation):
इसमें मन को किसी रूप, मंत्र, या वस्तु पर केंद्रित किया जाता है। जैसे:
- ओम मंत्र ध्यान
- भगवान शिव या कृष्ण की मूर्ति पर ध्यान
- दीपक की लौ पर ध्यान (त्राटक)
यह साधना प्रारंभिक साधकों के लिए सरल और उपयोगी होती है।
2. निर्गुण ध्यान (Formless Meditation):
इसमें किसी रूप की कल्पना नहीं की जाती, बल्कि शून्यता या ‘साक्षी भाव’ में स्थित रहना सिखाया जाता है। जैसे:
- विपश्यना ध्यान
- शून्य पर ध्यान
- साक्षी होकर विचारों को देखना
यह उच्च अवस्था की साधना मानी जाती है, जहाँ साधक “मैं” को भी त्याग देता है।
ध्यान के लाभ – शरीर, मन और आत्मा पर प्रभाव
- मानसिक शांति और फोकस बढ़े
- तनाव, चिंता और अवसाद में राहत
- रक्तचाप और नींद में सुधार
- आध्यात्मिक जागरण और आत्मा का अनुभव
- भावनात्मक संतुलन और सकारात्मक दृष्टिकोणकैसे करें ध्यान – आसान शुरुआत के 5 स्टेप
- समय चुनें: सुबह का समय सर्वोत्तम है (या सोने से पहले)।
- शांत स्थान चुनें: जहाँ कोई व्यवधान न हो।
- बैठक: सुखासन या पद्मासन में सीधी रीढ़ के साथ बैठें।
- साँसों पर ध्यान दें: विचारों को न रोके, केवल देखें।
- नियमित अभ्यास करें: 5 मिनट से शुरुआत करें, धीरे-धीरे समय बढ़ाएँ।
ध्यान को दिनचर्या में कैसे लाएँ?
- सुबह उठते ही 5 मिनट “ॐ” का जप करें।
- रात को सोने से पहले 10 मिनट सांसों पर ध्यान केंद्रित करें।
- भोजन करने से पहले 1 मिनट मौन रहें।
- मोबाइल स्क्रीन की जगह आँखें बंद कर “भीतर देखें”।
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