फेसबुक से लेकर व्हाट्सएप तक – चुनावों में सोशल मीडिया का जलवा
आज की राजनीति पहले जैसी नहीं रही। अब चुनावी रैलियों और पोस्टरों से ज्यादा असर डालते हैं – सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म। फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर (X), यूट्यूब और व्हाट्सएप जैसे माध्यम अब वोटरों की सोच और फैसलों को गहराई से प्रभावित कर रहे हैं।
राजनीतिक दलों की डिजिटल रणनीति
- फेसबुक कैंपेन: हर पार्टी अपने नेताओं के भाषण, घोषणापत्र और ग्राफिक्स को फेसबुक पर प्रमोट करती है।
- इंस्टाग्राम पर युवा टारगेटिंग: रील्स, मीम्स और इन्फ्लुएंसर के जरिए युवाओं तक पहुंचना आसान हो गया है।
- ट्विटर डिबेट: नेता अब सीधे जनता से ट्वीट के जरिए बात करते हैं। ट्रेंडिंग हैशटैग एक दिन में जनमत बदल सकते हैं।
- यूट्यूब वीडियोज: बड़े भाषणों से लेकर डॉक्यूमेंट्री स्टाइल प्रचार तक, यूट्यूब आज सबसे लंबा-फॉर्म कंटेंट प्लेटफॉर्म बन चुका है।
सोशल मीडिया का प्रभाव – जनमत निर्माण से नतीजों तक
- फेक न्यूज़ का खतरा: जितनी तेज़ी से सही जानकारी फैलती है, उतनी ही तेज़ी से झूठी खबरें भी वायरल हो जाती हैं।
- बायस्ड ऐड्स और एल्गोरिदम: पेड प्रमोशन और बायस एल्गोरिदम लोगों को एक पक्ष की जानकारी दिखाते हैं।
- बूथ से पहले वोटर की सोच पर असर: कई युवा मतदाता सोशल मीडिया पर देखी गई जानकारी के आधार पर वोट का फैसला करते हैं।
कुछ उदाहरण – जब सोशल मीडिया बना गेमचेंजर
- 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में BJP ने डिजिटल प्रचार को जिस तरह से अपनाया, उसने पूरे चुनाव प्रचार का चेहरा बदल दिया।
- ‘Main Bhi Chowkidar’ और ‘Abki Baar Modi Sarkar’ जैसे कैंपेन ऑनलाइन से शुरू हुए और ज़मीनी माहौल में छा गए।
- AAP, TMC और कांग्रेस भी अब सोशल मीडिया युद्ध में पीछे नहीं हैं।
क्या कहता है भविष्य?
आने वाले समय में AI-generated content, deepfakes और hyper-targeted ads चुनावी रणनीति का हिस्सा बनेंगे। पारंपरिक मीडिया के साथ-साथ अब सोशल मीडिया भी चुनावी अखाड़ा बन चुका है।
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